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Saturday, November 12, 2011

कन्फेस

चुप नहीं हूं
चुप रहने की आदत है
असहमति के बावजूद
हामी भरने की आदत है
फर्क नहीं पड़ता ये दिखाने की आदत है
हंस नहीं पाता हूं
लेकिन,मुसकुराते रहने की आदत है
खेलना नहीं आता है
बस दांव-पेंच सिखाते रहने की आदत है
कर कुछ नहीं पाता
लेकिन एक बार छू लेने की आदत है

2 comments:

M VERMA said...

सार्थक कन्फेशन

अर्चना राजहंस मधुकर said...

मैं जरूर लिखूंगी आपके लिए