(कई दोस्तों से बातचीत हुई कि प्यार एक बार नहीं होता....प्यार कई बार होता है....लेकिन मुझे लगता है प्यार एक बार ही हुआ... अब नहीं होगा...अब जो होगा...उसे कुछ और नाम दीजिए प्लीज...)
2003। शायद अप्रैल या फिर तुरंत तुरंत शुरू हुआ मई का महीना। दिल्ली की यूएनआई बिलडिंग के सामने पेड़ से झड़ते पत्ते कंपनी दे रहे थे। इस बीच एक लड़का वहां आकर खड़ा हुआ। अभी -अभी दिल्ली आया था। उसे देखकर भी लग रहा था। कुछ बातचीत हुई। फिर एग्जाम हॉल...और उसके बाद वापस घर। आरोन मेरी जिंदगी की महत्वपूर्ण कड़ी है जिसे प्यार कहते हैं...ये प्यार कब हुआ ये तो बता दिया। कैसे हुआ? पहले किसे हुआ? इसपर हम दोनो ने खूब बातचीत की है...कुछ बातें अभी है बाकी थोड़ा इंतज़ार कीजिए...
2 comments:
प्रतीक्षा रहेगी…।
टुकडो टुकडो में जिंदगी का मजा क्या है।
आखिर इस बेरुखी की वजह क्या है।।
इंतजार शब्द खटकता है।
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