कोई नहीं जानता सच
क्योंकि किसी को झूठ का पता नहीं है
किसी को नहीं जानना होता है आपका दर्द
तसल्ली देने के लिए जो अभी आपकी तरफ बढ़े हैं
यकीनन कल वो आपके दुख का कारण बनेंगे
अपनी तरफ आने वाले हाथों की तश्दीक कीजिए
आगे बढ़िये और बढ़ते जाइये
छोड़ दीजिए के लोग कहते हैं
बस चलते चलिए
उस हाथ को मत ढूंढिए
जिसने वक्त से पहले
हंसी-हंसी में आपको डूबो दिया
छोटी सी हंसी हमेशा अट्हास से ज्यादा कुटील होती है
उस हसीन को पहचानिए
जिसने हंस-हंस कर आपके दर्द को बढ़ाया है
और आज भी उठने, चलने से पहले आप उसी का इंतजार कर रहे हैं
दर्द हो रहा है के आज वो आपके साथ नहीं है?
ज़नाब वो आपके साथ कभी नहीं थे।
आज उनकी मेहफिल कहीं और जमी है
किसी और चौबट्टे पर कोई और हलाल हो रहा होगा
और ये मेरा दावा है दोस्त वो देसी मुर्गा आप नहीं
2 comments:
Sach hai.... Samhalkar chalna bhi zaroori hai...
Sunder rachna.
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