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Monday, January 18, 2010

बोलो..तपस्वी बनोगे

वो किसी का शत्रु नहीं है...सबका दोस्त है...धीमे धीमे बोलता है... उसने अपने जीवन के कोणों को मिटा दिया है...वो अब गोल है...
सपाट चिकना गोल...उसपर बाहरी वातावरण का असर नहीं होता...
क्या बात है...अगर किसी को दुनिया ज्यादा बुरी लगने लगी हो...तो उनके लिए सलाह है कि वो भी अपने जीवन के कोण मिटा दें...
सब ठीक हो जाएगा...
ऐसे ही लोगों को आज का तपस्वी कहते हैं...देखिएगा...ये साधना आसान नहीं होती....साधने के पहले विचार जरूर कर लीजिएगा...
उस तपस्वी को मेरा नमस्कार

7 comments:

Abhi said...

Swagat hai...
Kabhi Yahan bhi aayen
http://jabhi.blogspot.com

sanjeev said...

sapaat chikna ghada banana wakai mushkil hai. mai aapki baat se puritarah sahmat hoon.

Anonymous said...

वो किसी का शत्रु नहीं है...सबका दोस्त है...धीमे धीमे बोलता है... उसने अपने जीवन के कोणों को मिटा दिया है...वो अब गोल है...
बिन पेंदे का लौटा बन जाइये और घूमते रहिये - बहुत सुंदर, अपने आप में निराली सोच - हार्दिक शुभकामनाएं

timeforchange said...

beautiful thinking .

डॉ .अनुराग said...

arse baad dikhi....masroof hai kahi...
vaise aajkal ki duniya me leader ki yahi quality hai .vo sabki sunta hai ..

राजन अग्रवाल said...

hello, kaise hain....

Randhir Singh Suman said...

nice