सपनों के महल में हम भी रहतें
चलते आसमान में
सितारों के पदचाप के साथ
हम भी मिलातें सुरताल
देखतें,
इस झिलमिल दुनिया को
अगर तुम होते...
और ही होता मेरे बहकने का अंदाज़
ज़ुबां पर यूं न पसरा होता सन्नाटा
चीरते हुए जो हर शोर को
आज दे रहा है यूं चुनौति
काश...
कि तुम होते
दुलारते,
मुझे पुचकारते
तो शायद मैं यूं ढीढ न होती
अक्खड़
जैसे पठार खड़ा हो
तूफान, बरसात
बदरंग कर देने वाले
थपेड़ों के बावजूद
निडर, निष्ठुर
न ख़ुशी में ख़ुशी
न ग़म में ग़म
काश कि तुम होते
मेरी आंखों से आंसू तो छलक गए होते...
11 comments:
जैसे पठार खड़ा हो
तूफान, बरसात
बदरंग कर देने वाले
थपेड़ों के बावजूद
निडर, निष्ठुर
न ख़ुशी में ख़ुशी
न ग़म में ग़म
काश कि तुम होते
मेरी आंखों से आंसू तो छलक गए होते...
bahut sunder
बहुत सुन्दर लिखा है। दिल से लिखा है। बधाई स्वीकारें।
बधाई
कभी प्याले का रस पान करें
अर्चना जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद,आपके सुझाव पर अमल करने का प्रयास करूंगा.किसी कथ्य को बोझिल बनाने का इरादा नहीं रहता,जब मूर्खताओं को देख व सुन मन भारी हो जाता है तब बिना कुछ कहें रहा भी नहीं जाता.
उम्मीद है कि आपके बहुमूल्य सुझाव मार्गदर्शन प्रदान करते रहेंगे.
कौशलेंद्र मिश्र
शायद अपना दर्द आपने लफ्ज़ों में बयां कर दिया है। बहुत शानदार है... काश कोई होता इस दर्द को समझने वाला...
long time dear. thank god u back to blogging.keep it up.
हम आपके आभारी है , और आपके सुझाव , छत्तीसगढ के विकास में सहायक बने इसी आशा के साथ , हमें अपने सुझाव भेजते रहे.
धन्यवाद
cg4bhadas.com
http://www.cg4bhadas.blogspot.com
संपादक
good ...keep it up
आपकी कविता सीधा दिल की गहराइयों में ऊतर जाती है दिल से लिखा है आप ने "न ख़ुशी में ख़ुशी
न ग़म में ग़म"
"काश कि तुम होते"
मेरी आंखों से आंसू तो छलक गए होते......
काश हम साथ होते ...........?
क्या आप हमारी मदद करेगी आप ने कसे अपनी कविता बलाग से भेजी है हमें भी सुझाये
क्यो कि आपने जी मेल कि आई डी भी उपयोग नही कि है पिलज हमें भी बताये कि कसे अपनी बलाग मेटर को भेजते है
नई रचनाओं का इंतज़ार है
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