एक हमारे कौवा दोस्त हैं.....दरअसल नाम तो कुछ और है..लेकिन उन्हें हम लोग कौवा कहते हैं...कौवा इसलिए क्योंकि उनका रंग काला है....वैसे मैं कहीं से भी उनके नाम के साथ हुए इस षडयंत्र का हिस्सा नहीं हूं...लेकिन मैने भी जब पहली बार अपने दोस्तों से सुना कि फलाने का नाम कौवा है तो लगा ‘ सही है यार इसका नाम तो कौवा ही होना चाहिए था’ इससे ज्याद भूमिका नहीं है मेरी उसे कौवा का नाम देने में....वैसे उसका एक और नाम है...हमलोग उसे प्यार से गणित भी कहते हैं....आजकल हमारे गणित मित्र भी ब्लॉग लिखते हैं....दरअसल दोनो निक नामों को सुनकर चाहे जितना खराब लग रहा हो लेकिन उसपर बैठती बिल्कुल ठीक है....जैसे कि कौवा....काला सा बिल्कुल चालाक बनने की कोशिश करता हुआ अधेड़ उम्र का...मतलब मर्द बनता हुआ लड़का या फिर मर्द बनने के बाद बूढ़ा होता हुआ मर्द.... कौवे जितना तेज़...अब आप जानते ही हैं कि कौवा कितना तेज़ होता है...और किस तरह का तेज़ होता है....मेरा मित्र भी कुछ ऐसा ही है....गणित इसलिए क्योंकि वो जोड़-घटाओ करने में बड़ा माहिर है लेकिन आजतक एक भी सवाल हल नहीं कर सका है....बोलता खूब है...किसी भी मंच की शोभा बढ़ाने लग जाता है....बीच में से कहीं से उठकर एक सास्वत सवाल....और उसके बाद सब का मूंह बंद करवाते देते हैं हमारे कौवा मित्र....अब उनको क्या पता कि प्रधानमंत्री को भी पता है कि देश में गरीबी है...उन्हें इंडिकेट करने की जरूरत नहीं...ज़नाब
खुद वित्तीय मामलों के अच्छे जानकार लेकिन अपने कौवा जी उनको भी सलाह दे देंगे....अब लीजिए....ऐसे में क्या कर सकते हैं....अभी कुछ दिनों पहले हमारे गणित मित्र उर्फ कौवा को प्रेम हो गया...अब कौवा को प्रेम हुआ तो कांव कांव शुरू....सुनने वाले कौन...हम कौवा के दोस्त.....कौवा से भी गए गुजरे....प्रेम दीवाने कौवा को न रात दिखे न दिन....कौवा को लड़की से प्रेम हो गया भई...ब्रेकिंग न्यूज......अब ये ठहरा कौवा प्रेम तो किसी कौवी से करना था....लड़की से कर बैटे...दूसरी बिरादरी में टांग फसाने की इनकी आदत ज़रा पुरानी है क्या कीजिएगा....गणित जी हमेशा फंस जाएंगे...अब बचाइये....लड़कीयन ऐसी कि लूट लिया हमरे कौवा दोस्त को....बेचारा कौवा हमारा खूब रोया....बिलबिला बिलबिला के....अरे हम सबने मिलकर कई बार और खूब समझाया था कि कि देखो गणित कभी दिल विल मत दे बैठना...घूमते फिरते हो सो तो सही है लेकिन ये दिल का मामला बड़ा खराब होता है....और तुम ठहरे काले कलूटे...तुमसे कोई लड़की वो भी इस महानगर में प्यार व्यार नहीं करेगी..धोखा खा जाओगे कौवे इस चक्कर में मत पड़ना लेकिन नहीं । कर दी गलती...आजकल पछता रहे हैं....हम लोग चुप करा करा के थक गए हैं...हमारे कौवा के आंसू खत्म नहीं हो रहे...कौवा को नहीं पता है माया महा ठगिनी होती हैं...माया के चक्कर में पड़ गया बेचारा....कौवा को उसी के घर दफ्तर से निकलवा दिया माया महाठगिनी ने...आजकल कौवा जी बड़े उदास रहते हैं.... लेकिन हौसला नहीं खोये हैं...अब उन्होंने फैसला कर लिया है कि वो अपने गांव की किसी कौवी से ही ब्याह रचाएंगे....लेकि ये क्या भई कौवे की किस्मत को तो जैसे हम आदम की नज़र ही लग गई है....रिश्ते पर अभी हमारे कौवा मित्र बहुत्ते इतराये भी नहीं थे...एकाध गणित भी नहीं झाड़े थे कि रिश्तवे टूट गया....इस बार हमारे कौवा की फिर कोई गलती नहीं थी...कौवा बेचारा क्या करेगा भला....उस दिन तो सुना ही रहा था कि हमको लड़की तो मिली लेकिन एकदम काली...जैसे कौवी...अब उसे क्या पता कि वो कोई कौवा से कम नहीं है...शादी हो रही है ये क्या कम है....इसी बीच गणित की नौकरी टें हो गई और उधर रिश्ता फिस्स....कौवा आजकल करियर पर ध्यान दे रहे हैं....सुनते हैं अब माया के चक्कर में नहीं पड़ेंगे...वैसे हमें लगता है कि उनको ये सब इसलिए भुगतना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने बहुत साल पहले एक भली लड़की का दिल तोड़ दिया था...लड़की ने शादी के लिए कहा तो कौवा सज्जन ने कह दिया कि- मैं सज्जन पुरुष मैं शादी ब्याह माता पिता के बगैर मर्जी नहीं कर सकता ये तो हमारे मां बाप जहां कराएंगे वहीं करेंगे....हमको तो सिर्फ दूसरों की दुनियां लूटने का अधिकार है..इश्क करने का...लड़की को उल्लू बनाने का और मार्केट में गर्लफ्रेंड के नाम का स्टेटस सिंबल बनाने का अधिकार है....शादी के लिए जो लड़की होती है वो सुसंस्कारी...सुलोचनी...और ब्ला ब्ला ब्ला...होती है....उसे मोटा दहेज भी लाना होता है...ये सब हमारे कौवा दोस्त ने उस लड़की से कहा था...बेचारा कौवा अब तो कोई कौव्वी भी नहीं मिल रही है उसे...इसी बीच ख़बर आ गई है कि लड़कियों का जन्म दर तेज़ी से गिर रहा है..लड़कियां घट रही है...हमारे कौवा मित्र की चिंता और बढ़ गई है....
5 comments:
अच्छा है।
अच्छा हुआ हम आपके ग्रुप में नहीं थे..वरना अपना नामकरण तो समझ ही गये हैं...हा हा!! मजाक कर रहा हूँ. :)
काफी कुछ सोचने को मजबूर कर दिय आपके इस पोस्ट ने..
एक नजर में ऐसा लगता है की व्यंग लिखा है, मगर फिर लगा नहीं कुछ और ही है..
उड़न तस्तरी जी वैसे ये बता ही दीजिए कि आपने मेरे हवाले से अपना क्या नामाकरण सोच लिया है.....हा हा हा हा हा........
आपके लेख की आखिरी लाईने बहुत कुछ कह जाती है।
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