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Sunday, April 13, 2008
कुछ बातें अभी है बाकी...
आरोन से मेरी दूसरी मुलाकात पांच छह महीने बाद हुई थी....लेकिन इस बीच एक या दो बार फोन पर बात हुई...मैं रोहतक में थी तो उसका फोन आया था....नौकरी मत छोड़ना...मैं आरोन बोल रहा हूं....कौन आरोन मेरा सवाल था...उसने यूएनआई मीटिंग का जिक्र किया....पहचान लिया....कुछ बातचीत हुई और उस अजनबी से शहर में मैं और बेचैन हो उठी...नौकरी छोड़ने का जो फैसला लिया था उसको और बल मिल गया...मुझे लगा कि दिल्ली में तो सब हैं....मैं यहां रोहतक में क्या कर रही हूं...हालांकि उसने मुझे ये समझाने के लिए फोन किया था कि नौकरी छोड़ना मत....देखो हम लोग सभी बेरोजगार हैं.....उसने एक दो और लड़के लड़कियों का नाम लिया....लेकिन उसके इस फोन ने दिल्ली आने की मेरी बेकरारी को और बढ़ा दी...अब तो एक और पल रोहतक में.......कतई नहीं......आरोन पिछले तीन साल से मुझसे दूर है....हालांकि बीच में कुछ महीने के लिए हम फिर से साथ हो गए थे...लेकिन ये वक्त बड़ा छोटा था....आरोन एक अदभुत कैरेक्टर है....बहरहाल मैं दिल्ली आ गई....उससे दूसरी मुलाकात......कुछ बातें अभी है बाकी....इंतज़ार.....प्लीज
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2 comments:
हम इंतज़ार ही कर रहे हैं।
हम आपके शुक्रगुज़ार हैं सर...वरना आजकल लोग इंतज़ार कहां करते हैं.....वैसे इंतज़ार का अपना मजा है....
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