Followers

Wednesday, May 6, 2015

जरा अपनी पॉलटिक्स तो बताओ राहुल!

...............................................................
राहुल गांधी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक पूरी बीट हैं जिसे एक रिपोर्टर को उसी तरह कवर करना चाहिए जैसे वो अपनी कई अन्य बीट कवर करते हैं। 2005 में स्टार न्यूज के उस वक्त के न्यूज डायरेक्टर उदय शंकर ने यह बात राहुल गांधी पर किताब लिखने वाले पत्रकार जतिन गांधी से कही थी। इसका जिक्र जतिन गांधी और वीनू संधू की किताब राहुलमें है। इस बात में दम भी था क्योंकि आगे चल कर ऐसा हुआ भी कि कई ख़बरिया चैनलों में राहुल के लिए अलग से संवाददाता रखे गए जिसका काम राहुल की गतिविधियों पर नज़र रखना था और राहुल से जुड़ी हर छोटी बड़ी बात खबर होती थी। 2004 में राहुल गांधी भारतीय राजनीति में जिस जोशो-खरोश के साथ लांच हुए थे और आते ही यूथ ब्रिगेड पर काम करना शुरू कर दिया था कि उस वक्त लगता था वाकई आने वाले समय के नेता वही हैं। आज भी कई बार यही भ्रम हो जाता है। ख़ासतौर से तब जब राहुल संसद में गरजते हैं। लेकिन, राजनीति दो दिन की कौड़ी तो होती नहीं लिहाजा उनका तिलिस्म जल्दी ही खत्म हो जाता है।
पूरे 11 साल बाद कांग्रेस के इस युवराज को देश में विपक्ष की भूमिका मिली है। लेकिन 10 महीने बाद वो लोहा लेते दिखे। संसद में गरजे तो एक बार फिर वही तिलस्म फैला गए। फेसबुक और ट्वीटर पर उनके प्रशंसकों ने फिर से जयकारे लगाए। ये बात दीगर है कि मोदी सरकार पर किसान विरोधी होने का विवाद गहरा रहा है। राहुल ने इसे तुल दे दिया। कुल मिलाकर एक सश्क्त विपक्ष का रौद्र रूप मोदी सरकार ने भी पहली बार देखा। किसानों को लेकर लोकसभा में दिया गया उनका भाषण तमाम टीवी चैनलों की सुर्खियां बनीं। उनकी ये गर्मजोशी अगले कई दिन जारी रही। जिसमें महाराष्ट्र से लेकर पंजाब की लोकल ट्रेन यात्रा भी शामिल है। पंजाब के खारा मंडी पहुंच कर मोदी को जिस तरह ललकारा गया उसे किसी भी तरह से कम नहीं आंका जा सकता। लेकिन सबके मन में सवाल यही कौंधता है कि ये तगड़ा विपक्ष आया कितने दिन के लिए है। आखिर कितने दिन राहुल की यह सक्रियता बनी रहेगी।
दरअसल, एक समय पर राहुल जितने सक्रिय दिखते हैं दूसरे समय पर उतने ही हल्के और ढुलमुल। मुद्दे को जोरदार तरीके से उछालना और फिर खुद ही विलुप्त हो जाने की आदत ने राहुल को राजनीति ही नहीं देश में भी हल्का बनाया। ऐसा एक नहीं कई बार हुआ है कि राहुल गांधी अचानक से एक दो महीनों के लिए जनता के हीरो बन जाते हैं और फिर हीरो तरह ही गायब भी हो जाते हैं। वास्तविकता में उनकी तलाश लोगों को महंगी पड़ती है।
दलित के घर बैठकर खाना खाने से लेकर किसी गरीब बच्चे को गोद में उठा लेना या फिर एकदम से सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए किसी आम आदमी से जा मिलने की चेष्टा राहुल गांधी ही कर सकते हैं। राहुल की इस राजनीति को समझ पाना बहुत कठिन है। वरना, संसद में राहुल बाबा जिस तरह के तेवर में दिखे कि एक वक्त में लगा कि यही तो है वो जिसका देश को इंतजार था। कई लोगों ने उनके इस हौसले को  इस मुहावरे से तौला कि देर आए दुरुस्त आए। मार्च 2004 में राहुल गांधी अमेठी से पहली बार चुनाव लड़े, जीते लेकिन किसी असरदार भूमिका में नहीं दिखे। राहुल को बड़ी जिम्मेदारी और कमान देने की बात को सोनिया गांधी भी टालती रहीं। देश की मीडिया बार-बार यह सवाल करती रही कि आखिर कब राहुल को कांग्रेस की कमान दी जाएगी। लंबी चुप्पी के बाद 2007 में उन्हें पार्टी महासचिव बनाया गया। 2008 में भारतीय युवा कांग्रेस की कमान मिली और 2013 में आधिकारिक तौर पर पार्टी के उपाध्यक्ष बने।
एक समय के बाद कांग्रेस ने उन्हें खुल कर राजनीति करने का मौका दिया लेकिन उनकी राजनीति कभी देश को समझ नहीं आई। 2004 से 2014 तक लगातार सत्ता में रहने के बावजूद उन्होंने कोई मंत्रालय नहीं संभाला। इसके बाद राजनीतिक सक्रियता उनकी यह रही कि 2014 के चुनाव के ठीक बाद वो गायब हो गए। राहुल की चीर-परिचित राजनीति। ऐसे में सवाल तो ये उठता ही है कि आखिर राहुल किस किस्म की राजनीति करना चाहते हैं। उनकी राजनीति कुछ इस तरह की होती है कि दो महीने में जितना करना है कर लो फिर अगले तीन चार महीने दर्शन ही नहीं देना है। सवाल गंभीर है कि क्या इसी राहुल गांधी पर देश की पीढ़ी भरोसा करेगी। क्या यही कांग्रेस का चेहरा है जो देश का सबसे बड़ा विपक्ष है। आखिर राहुल जो वादे और दावे करते हैं उसका फालोअप कौन करेगा। क्या उसका कभी फालोअप हुआ भी है। हर अज्ञात वास के बाद जब राहुल लौटते हैं तो देश में मुद्दे बदल चुके होते हैं और राजनीति की ये नब्ज होती है कि वो तत्कालिक मुद्दे पर जोरदार नजर आती है। राहुल से ये सवाल कौन पूछेगा कि आखिर उनकी ये क्या पॉलटिक्स है? सत्ता पक्ष को तो एक कमजोर या नाम मात्र का विपक्ष मिल जाए तो पांच का दस साल बड़े आराम से काट ले। लेकिन इस देश की जनता का क्या होगा और फिर जिस तरह की राजनीति राहुल कर रहे हैं उससे उनका ही क्या हो जाएगा!

5 comments:

Deep Chand Sankhla said...

अच्छा आलेख।

Deep Chand Sankhla said...

अच्छा आलेख।

Gilbert Josh said...

Outstanding Good for you Phenomenal Good reasoning Praiseworthy Good thinking Prestigious work Good work/Good job Proper Grand Purrrfect Great Remarkable Great going Resounding results Honorable Respectable I appreciate your cooperation. Right on target I appreciate your help.

Fast Video Downloader Crack

Christine Walter said...

I am happy after visited this site. It contains valuable data for the guests. Much thanks to you!
PyCharm Crack
Dr. Web Security Space Crack
VDownloader Crack
WinZip Pro Crack
Minitab Crack
WTFast Crack
Disk Drill Pro Crack
Avira Phantom VPN Pro Crack
IObit Uninstaller Pro Crack
XSplit Broadcaster Crack

masabtech said...

I really love your work it’s very beneficial to many people’s. Your blog approach helps many people like myself. Its content is very easy to understand and helps a lot,
Do visit my site for new and Updated software:
Temperature Gauge Pro Crack
Cocktail Mac Crack
Grids for Instagram Crack Mac Crack
VMware Fusion Mac Crack
ActivePresenter Crack
Artweaver Plus crack
Duplicate Photo Cleaner crack
WebcamMax Crack
Airy crack