ये दुनिया कैसी है यार...हर रोज कुछ नया हो जाता है...कभी कुछ रिपिट नहीं होता...जैसे कि जो पढ़ो वो सवाल परीक्षा में पूछा ही ना जाए...ऐसे तो नहीं होना चाहिए न...ये सब क्या हो रहा है?...रिपिट ही नहीं होता कुछ भी... मैने तो सुना था जो होता है अच्छे के लिए होता है..और जो होगा अचछा होगा....खाक अच्छा होगा...यहां तो बुरा भी रिपिट नहीं होता...हां ज्यादा बुरा जरूर हो जाता है...
देखो, ये सब गलत है, पारसिएलिटी है...कुछ-कुछ रिपिट भी कर लिया करो...कुछ सीखो हमसे...हम 24 घंटे का न्यूज चैनल कहके कैसे धड़ाधड़ रिपिट चलाते हैं..सीरियल्स 24 घंटे में 5 बार रिपिट मारता है...और तुम हो कि...कभी कुछ रिपिट नहीं मारते...जाने कितना बड़ा-बड़ा दर्द हमने इसीलिए सह लिया कि अरे चलो बढि़या है कुछ तो सीखा अगली बार काम आएगा...लेकिन तुमने भी ठान लिया है कुछ भला नहीं होने दोगे...देखो ये गलत है...
लेकिन मैं तुमसे डरती नहीं हूं...निंदक नियरे राखिये...आंगन कुटि छवाय...घर में इतने अच्छे से तुम्हें रखा है...लेकिन तुम्हें कुछ भी नहीं होता...अजीब हो तुम तो...जाने कितने अपने दूत जो बनाए हैं तुमने वो डराते रहते हैं...भ्रम फैलाते हैं तुम्हारे नाम का...वरना कौन डरता तुमसे....उपर बैठे हो तो क्या हो गया...कभी कभार कुछ रिपिट कर दोगे तो छोटे हो जाओगे.. करो, करो...जो अच्छा लगता है करो...फेंको...और फेंको...हम नीचे वाले कर भी क्या सकते हैं...हम फेंकेंगे तो उल्टा आकर हम पर गिरेगा...इसलिए तुम्ही फेंको...भाई पत्थर शीशे से टकराए या शीशा पत्थर से, टूटेगा तो बेचारा शीशा ही...लेकिन फेंकने में कैसी कंजुसी भाई एक सामान दोबारा फेंक दोगे तो कुछ हो जाएगा तुम्हारा...कमसे कम हम बेवकुफ तुम्हारी जनता कुछ खुश हो लेंगी...
और तुम्हारे जो कुछ दूत हैं ना जो समझते हैं कि तुम उसके पुरखे हो वो भी कभी रिपिट नहीं करता...जी हां...खूब सताता है...तुम्हारी तरह है वो भी...तुम उस लोक में रहकर जान खाते हो..वो इस लोक में रहकर... लेकिन रिपिट वो भी नहीं मारता...
3 comments:
वो रिपिट मारेगा तो इन्सान उसकी तोड़ निकाल लेगा इसलिए हर बार नये तरीके से चमकाता है-अच्छा या बुरा...होगा नया ही.
सही ध्यान खींचा. :)
इश्वर से आपकी बात चीत बहुत मजेदार है...वो जो करता है उसे रीपीट नहीं करता...ये सच है अगर चैनल की तरह रीपीट करने लगे तो उसे पूछे गा कौन? गज़ब की पोस्ट.
नीरज
is रिपिट ne hi aadat bigadi he logo ki
har chiz ko रिपिट kar dekhana
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
Post a Comment