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Wednesday, May 27, 2009

मेरे दोस्त की हौसला अफ़जाई

'' कैसे कह दूं कि थक गया हूं मैं
न जाने किस किस का हौसला हूं मैं ''

मेरे दोस्त ने मेरे लिए कहा था, बहुत पहले...उसे और मुझे नहीं पता कि किसकी लाइन है...हो सकता है उसने खुद भी लिखा हो...लेकिन मैं जरूर जानना चाहती हूं कि ये किसकी लाइन है...किसी को पता हो तो कृपया बताएं....

11 comments:

अजय कुमार झा said...

jiskee bhee kamaal hai bemisaal ...ham tak pahunchaane ke liye shukriyaa.....

Udan Tashtari said...

है गज़ब की..पता नहीं जिसकी भी हों.

अनिल कान्त said...

bahut achchhi hai

Kulwant Happy said...

मिल जाएगा, जल्द जवाब आपको
बहुत साहित्यकार हैं यहां,
पता ही होगा जनाब आपको

Vinay said...

हाँ सही बात है अगर किसी परिवार में और दोस्तों के साथ आपकी पहुँच ऐसी ही हो तो शेअर सार्थक हो जाता है!

Drmanojgautammanu said...

'' कैसे कह दूं कि थक गया हूं मैं
न जाने किस किस का हौसला हूं मैं ''
bahut achha likha hai.

admin said...

ये तो नहीं पता किसका शेर है, पर है बहुत प्यारा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगर said...

'' कैसे कह दूं कि थक गया हूं मैं
न जाने किस किस का हौसला हूं मैं ''

किसी ने भी कहा हो पर मैने नही कहा। पर जिस ने भी कहा दमदार कहा। स्वागत और धन्यवाद।
मुम्बई टाईगर, एवम हे प्रभु यह तेरापन्थ

सुशील छौक्कर said...

जिसने भी लिखा है बहुत ही बेहतरीन लिखा है।

Bhawna Kukreti said...

sach me ye behad umda panktiyaan hain .main inhe baar baar bolti jaa rahi hoon pata nahin kyon lekin dhanyavaad aapne inhe apni post me darj kiya :)

चाहत said...

किसी का भी शेर हो
बहुत ही अच्छा है
इसके लिए आपको
और आपके दोस्त को
धन्यवाद