Followers
Wednesday, September 17, 2008
कुछ और बोल लिया होता
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर हमला होता है...तो देखिये जरा बयान किस तरह के आते हैं...आतंकियों ने इस बार डस्टबिन को ब्लास्ट के लिए चुना...इस बार साइकिल पर बम नहीं रखा गया....दो दिन बाद मेट्रो के कर्ता-धर्ता ने बयान जारी किया सुरक्षा के मद्दे नज़र सभी मेट्रो स्टेशनों से डस्टबिन हटा लिये जाएं...आतंकवाद से कैसे निबटा जाए ये सोचने का काम वैसे सीधे तौर पर श्रीधरन साहेब का है भी नहीं लेकिन इतना जरूर है कि डस्टबिन हटा लेने का फरमान भी कहीं से मेच्चोर डिसिसन नहीं है...एक तरह से ये बेहद हास्यास्पद स्थिति है....हर दूसरे महीने जिस देश में दहशतगर्द हमले कर रहे हो वहां के एक जिम्मेदार नागरिक का इस तरह का बयान तकलीफ बढ़ाता ही है और कुछ नहीं...ये कमोबेश वैसा ही बयान है जैसा कुछ साल पहले दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक कॉलेज की प्रिंसिपल साहिबा ने नार्थ ईस्ट की छात्रा के साथ बलात्कार के प्रयास पर कह दिया था कि...लड़की ने कपड़े ही ओछे पहने थे...और ये कहते हुए मोहतरमा ने कॉलेज में ड्रेस कोड लागू करने की भी वकालत कर दी थी....आज़ादी के साठ साल बाद अपने देश में बलात्कार से निबटने का तरीका ड्रेस कोड है और बढ़ते आतंकवाद पर काबू पाने के लिए डस्टबिन हटाना...जैसे श्रीधरन साहेब को ये पता हो कि अगली बार भी जब आतंकी हमला होगा उसके विस्फोटन डस्टबिन में ही रके जाएंगे....जबकि अभी इस बात का खुलासा भी नहीं हुआ है कि सचमुच जो विस्फोट हुआ वो डस्टबिन में ही था या नहीं....अभी इसकी जांच ही चल रही है...ये भी हो सकता है कि गफलत पैदा करने के लिए डस्टबिन का भी इस्तेमाल किया गया हो....ऐसे हालात में आम लोगों का सक्रिय होना बेहद जरूरी हो गया है....कृपया अपनी रक्षा के लिए खुद अपनी रक्षा करें....अच्छा रहेगा.....
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
4 comments:
सही कहा आपने. पहली बार आपके ब्लाग पर आया विषय की गंभीरता का चुनाव काफी अच्छा लगा.
घटना के बाद बयान और उठाए गए कुछ कदम महज खानापूर्ति होते है। कुछ कदम जैसा आपने कहा बडे ही हास्यपद होते है। ऐसे उठाए कदम देख कर हंसी भी आती और गुस्सा भी।
आपकी कादम्बिनी में छपी रचना "उसका जीवन" पढी अच्छी लगी।
सही कहा.. "अपनी रक्षा के लिए खुद अपनी रक्षा करें"
archanaji,
bahut gambhir vishay per aapney bahut gambhir sawal uthaey hain.
Post a Comment