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Thursday, June 19, 2008

कुछ भूलें कुछ याद रहा...


" सूरज चांद सितारे मेरे साथ में रहे
जब तक तेरे हाथ मेरे हाथ में रहे
शाख से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधियों से कह दो औकात में रहे "


ये लाइन्स मुझे मेरे किसी जानने वाले ने लिखी थी....एक अरसा गुजर गया....उनसे कभी मुलाकात नहीं हुई...आज वो याद आए....मुझे नहीं पता ये किनकी लाइन्स है....लेकिन जिनकी भी हो....काफी उम्दा और शेयर करने लायक तो है ही...

6 comments:

रंजू भाटिया said...

सुंदर

डॉ .अनुराग said...

आंधियों से कह दो औकात में रहे


पढ़ा तो मैंने भी इस लाइन को है ,कहाँ पढ़ा है अभी याद नही आ रहा है.....

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा पंक्तियां हैं.

Anonymous said...

sundar paktiya.

Mahesh Chaudhary said...

aapko kavitoo ka bhaut shauk hai ye hum jante hai, lakik aapne is kavi dost se puchte to bata dete ki ye sher rahat indori ka hia

ashish said...

देश के जाने माने शायर राहत इंदौरी की लाइनें हैं।