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Friday, May 23, 2008

आरुषि का कत्ल:रियल लाइफ में नि:शब्द

दिल्ली से सटे नोएडा में हुई आरुषि और उसके नौकर की हत्या में पुलिस ने जो खुलासे किये हैं उसके मुताबिक अपने पिता के अवैध संबंधों पर बातचीत करते हुए आरुषि अपने नौकर हेमराज के इतने करीब आ गई वो भी वही करने लगी जिससे उसे नफरत थी...यानी वो भी डाकटर राजेश तलवार की तरह नाजायाज रिश्ते में बंध गई....चौदह साल की एक बच्ची अपने से दोगुने से भी ज्यादा उम्र के आदमी के साथ संभवत: हमबिस्तर भी होने लगी....बेशक इसमें अगर ज़रा भी सच्चाई है तो नौकर हेमराज ने आरुषि के आंसू पोछने के बहाने उसे अपनी गिरफ्त में लिया होगा....वो अपने पिता से और ज़ाहिर तौर पर अपने फ्यूचर को लेकर परेशान रही होगी....ठीक वैसे ही जैसे फिल्म नि:शब्द में जिया खान थी....इस फिल्म में जिया अमिताभ बच्चन के करीब तब आती है जब वो अपनी मां के किसी गैर मर्द के साथ अवैध रिश्ते की बातें अमिताभ बच्चन को सुनाती है....और इसी फिल्म में अमिताभ की बेटी जब जिया खान को अमिताभ को किस करते देखती है तो उसकी बौखलाहट अचानक बढ़ जाती है...घर का माहौल नि: शब्द हो जाता है....
जिया अपने प्यार का इजहार करती है...तो अमिताभ नि: शब्द हो जाते हैं......अमिताभ की बेटी को जब इस रिश्ते के बारे में पता चलता है तो वो नि:शब्द हो जाती है....और अमिताभ की पत्नी भी जब ये जानती है तो वो नि: शब्द हो जाती है.....
फिल्म देखने वालों से फिल्म के बारे में पूछिये तो लोग नि: शब्द हो जाते हैं....और आज आरुषि-हेमराज मर्डर पर जब पुलिस ने बयान दिए तो लोग नि: शब्द हो गए हैं....रिपोरर्स से निजी तौर पर पूछिये तो वो भी नि: शब्द हैं....
फिल्म नि: शब्द जब पर्दे पर उतरी थी तो इसका खूब विरोध हुआ था...ये भी कहा जा रहा था कि ड्यरेक्टर जो चाहेंगे वो दिखा देंगे क्या? आज असल ज़िंदगी का निशब्द आपके सामने है तो लोगों की बोलती बंद है....लोग नि: शब्द हो गए हैं....अपने देश में रिश्तों के मायने तेज़ी से बदले हैं....समाज टूटा है...और समाज का ये सबसे विकृत चेहरा है...हमें रिश्तों को लेकर संजिदा होने की जरूरत है....अपने देश में लोग अवैध रिश्ते धड़ल्ले से बनाते हैं.....लेकिन उसे सामने रखने की हिम्मत कोई नहीं दिखाता....प्रतिष्ठा और धर्म का हवाला देकर लोग अपने पार्टनर और पत्नी या पति को भी मुगालते में रखते हैं...इसका सबसे ज्यादा असर बच्चे पर पड़ता है...सबकुछ रहते हुए वो अकेला महसूस करते हैं....ये अकेलापन लोगों को लील रहा है..हर आदमी अकेला है....इसकी वजह है कि लोग ईमानदार नहीं रह गए हैं...लोग बातें तो कर रहे हैं आधुनिकता की...एक से अधिक रिश्ते की.....दलील ये कि प्रेम क्या शादी के बाद नहीं होता? प्रेम क्या साठ के पार नहीं हो सकता? लेकिन हकीकत तो यही लगता है कि प्रेम विलुप्त होता हुआ वो शब्द है जिसे बचाने,संभालने और संजोने की जरूरत है....बचाइये प्रेम को बचाइये वरना एक दिन ये पूरा देश नि: शब्द हो जाएगा......

20 comments:

रंजू भाटिया said...

वाकई निशब्द हो गए हैं हम सब और साथ ही अंधे बहरे भी

हरिमोहन सिंह said...

सोचने की बात ये हे कि परिवार मात्र सेक्‍स पूर्ति के लिये नहीं बनाया जाता ।
युवक युवतियों को बताया जाना चाहिये और उन्‍हे सोचना चाहिये कि शादी या घर बसाना स्‍वछन्‍दता का परमिट नहीं होता ।
विश्‍वग्राम की जो ऑंधी पश्चिम से चली है उसमें अभी न जाने कितने आरूषि और हेमराज शहीद होगें ।

vangmyapatrika said...

फिल्म की बात अलग है.इस केस को इस दृण्टि से देखना उचित नहीं है.ऐसा मेरा मानना है.निःशब्द एक फिल्म है.फिल्मों की बात अलग होती है.vangmaypatrika.blogspot.com

दीपान्शु गोयल said...

निशब्द

डॉ .अनुराग said...

अभी कुछ कहने की अवस्था मे नही हूँ....अभी इस केस की कई परते उधेड़ी जायेगी...कई गंदे लिजलिजे सच सामने आयेगे ,हर चैनल एक न एक एक्सपर्ट को बैठकर चटखारे लेगा......सबसे तेज चैनल स्टोरी बेचेगा....गंभीर चैनल शायद इसी विषय पर कुछ बुद्धिजीवियों को बैठाकर कोई बहस कराएँगे ...आज से कई साल पहले गुडिया का किस्सा .....गुडिया बेमौत मार गई......उसका बच्चा?? कुछ दिनों बाद आरुशी की मौत भी दफ़न हो जायेगी.......कोई नई ब्रेकिंग न्यूज़............ .वास्तव मे ये समाज का नैतिक पतन है....

Anonymous said...

aapne sahi samay par sahi sawal uthaya hai.aarushi hemraj hatya kand mai kal kya hoga yah to bad me dekha jayega, par is hatyakand ke piche jo vikritiyan khul kar samne aaya hai, use uthaya ha, jis par sahi me sochne ke jarurat.aise mamle me mauke par aap yah tipanni na kewal jabardast hai, balki har kisi ko jhakjhor dene walw. aaj aur ab aise hee bebak andaj me baton ko rakhne ke jarurat hai.. badhaee

Anonymous said...

आरुशी की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना करे । जिन परस्थितियों मे आरुशी की मृत्यु हुई हैं और जिन लोगो ने इस दुष्कर्म को किया हैं उन परस्थितियों मे शायद ही आरुशी का कोई अपना उसके लिये प्रार्थना कर रहा होगा । सो हम सब को उस बच्ची के लिये सच्चे मन से अपनी श्रद्धांजली अर्पित करनी चाहिए । बच्चे तो सबके होते हैं । इस समय हमे सिर्फ़ उस बच्ची के लिये सोचना होगा और मन से प्राथना करनी होगी की वह हम सब को माफ़ करे और जिस नयी दुनिया मे जाए उसमे उसे प्यार करने वाले लोग मिले।

Rajesh Roshan said...

अर्चना जी अभी कई परते और खुलेंगी यह नॉएडा पुलिस है. इन्हे भी टीआरपी की जरुरत है

Anita kumar said...

सच क्या हो गया है रिशतों को, अगर ये आधुनिकता है तो नहीं चाहिए ऐसी प्रगति और आधुनिकता।

अर्चना राजहंस मधुकर said...

मुझे लगता है न्यूज़ चैनल्स और अख़बार को दोष देकर हम असल मुद्दे से हट रहे हैं डाक्टर साहब....जरूरत ये समझने की है कि हम किस मानसिकता के हो गए हैं....क्या है जो हमारे उपर इतना हावी हो रहा है....जहां बाप बेटी का रेप करने में नहीं सोच रहा और अब तो मर्डर...वो भी इस तरह से....केस से पर्दा तो उठ गया है....और देखने के लिए अब कुछ बाकी नहीं रह गया है...ज़रा देखिये तो न्यूज चैनल्स कौन चला रहे हैं...हम आप जैसे ही तो लोग हैं वहां भी...हमारे भीतर भी उतनी ही जिज्ञासा है...और एक टीवी पत्रकार होने के नाते मैं इतना कहना चाहूंगी कि आखिर दिखाया तो ख़बर ही जाता है बेशक इसकी प्रस्तुति का तरीका ठीक न हो....पसंद करने लायक न हो....लेकिन क्या हम यहीं फंसे रहेंगे या फिर उस तरफ झांकने की कोशिश करेंगे कि समाज लगातार इतना असंवेदनशील क्यों हो रहा है.....

Anonymous said...

Aaroshi ki maut ne shayad har warg ko jhakjhod kar rakh diya hai...lekin aaj zarorat sawal ki nahin...kyonki samaj kahan ja raha hai? hum kya kar rahe hai? ye hum sabhi jante hai...kyonki samaj hum se hi banta hai..samaj ke inn jayaz najayaz rishton ke rachiyata hum hi to hain...vijai laxmi

ghughutibasuti said...

कृपया कयास ना लगाएँ। एक बच्ची के बारे में हमें बिना सत्य जाने बोलना नहीं चाहिए। जिनका काम न्याय करने का है उन्हीं पर छोड़ देना चाहिए।
कल यदि पता चले कि हम जो सोच रहे हैं वह सब गलत था तो ?
घुघूती बासूती

Anonymous said...

Ghughuti ekdam thik kah rahi han.

Kath Pingal said...

भड़ास के मॉडरेटर यशवंत ने जेल में काटी रात
दोस्‍त की बेटी से बलात्‍कार की कोशिश

अपने भीतर की बुराइयों को दिलेरी से सार्वजनिक करने वाले ब्‍लॉग भड़ास में इतनी हिम्‍मत नहीं थी कि वो इस ख़बर को अपने साथियों से बांटता। ऐसा तब भी नहीं हुआ था, जब यशवंत को उनकी कंपनी ने थोड़े दिनों पहले अपने यहां से धक्‍के देकर बाहर निकाल दिया था। जी हां, जागरण के बाद इंडिकस ने उन्‍हें अपने यहां से निकाल बाहर किया है - क्‍योंकि यशवंत की जोड़-तोड़ की आदत से वे परेशान हो चुके थे।

ताज़ा ख़बर ये है कि नौकरी से निकाले जाने के बाद यशवंत नयी कंपनी बनाने में जुटे थे। उन्‍होंने भाकपा माले के एक साथी को इसके लिए अपने घर बुलाया। ग्रामीण कार्यकर्ता का भोला मन - अपनी बेटी के साथ वो दिल्‍ली आ गये। सोचा यशवंत का परिवार है - घर ही तो है। लेकिन यशवंत ने हर बार की तरह नौकरी खोने के बाद अपने परिवार को गांव भेज दिया था। ख़ैर, शाम को वे सज्‍जन वापसी का टिकट लेने रेलवे जंक्‍शन गये, इधर यशवंत ने उनकी बेटी से मज़ाक शुरू किया। मज़ाक धीरे-धीरे अश्‍लील हरक़तों की तरफ़ बढ़ने लगा। दोस्‍त की बेटी डर गयी। उसने यशवंत से गुज़ारिश की कि वे उसे छोड़ दें। लेकिन यशवंत पर जैसे सनक और वासना सवार थी।

यशवंत ने दोस्‍त की बेटी के कपड़े फाड़ डाले और उससे बलात्‍कार की कोशिश की। लेकिन दोस्‍त की बहादुर बेटी यशवंत को धक्‍के देकर सड़क की ओर भागी और रास्‍ते के पीसीओ बूथ से भाकपा माले के दफ़्तर फोन करके मदद की गुहार लगायी। भाकपा माले से कविता कृष्‍णन पहुंची और उसे अपने साथ थाने ले गयी। थाने में मामला दर्ज हुआ और पुलिस ने यशवंत के घर पर छापा मारा।

यशवंत घर से भागने की फिराक में थे, लेकिन धर लिये गये। ख़ैर पत्रकारिता की पहुंच और भड़ास के सामाजिक रूप से ग़ैरज़‍िम्‍मेदार और अपराधी प्रवृत्ति के उनके दोस्‍तों ने भाग-दौड़ करके उनके लिए ज़मानत का इंतज़ाम किया।

अब फिर यशवंत आज़ाद हैं और किसी दूसरे शिकार की तलाश में घात लगाये बैठे हैं।

Anonymous said...

हर साख पर उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा?

Anonymous said...

its not good to say something about someones character.now the case has gone into the right hands i.e CBI they will see each and every aspect and will enquire every thing whether it is directly or indirectly related to the case the truth will come out after the investigation of CBI and its my request please do not put a bad mark on arushis character what
were be the condition or situation that little girl not knows that she will go to death (murdered) may god bless her soul...........

ullas kumar
lucknow

Unknown said...

ye baat sahi bhi hai yaa nahi .....aur police ko ye baat itni gehrai tak kaise pta chala ho sakta hai baat kuch aur ho ....nahi bhi ho sakta hai .....

India on line said...

Pronounce NODA, NO A DA, NOAIDA, NOIDEA and imagine the persons speaking such type of words for NOIDA.
Also pronounce C BHI I saali kutiya and see the feelings and associate with NO A DA police.
Imagine the Surender chasing girls in and eating them later in Maninder Kohli Kothi without Mannu knowing this. Mannu ke intution ko kya hua.

Rohit Patel said...

INSAN JAB SWAYAM GALATI KARTA HAI TO USE ANAND AATA HAI KINTU JAB YAHI GALATI USKA KOI RELATIVE KARTA HAI TO VAH MAR-KAT PE UTARU HO JATA HAI YE US VYAKTI KA NAHIN BALKI IS SAMAJ KA GANDA CHEHRA YA TO SAMAJ BADAL JAYE WARNA EK DIN AISA AYEGA KI IS SAMAJ KO HI MITA DIYA JAYEGA

Prashant said...

दरअसल स्थिति साफ नहीं थी अगर पुलिस ने ढंग से काम किया होता तो यह केस पहले ही सॉल्व हो जाता