tag:blogger.com,1999:blog-6064746468717405529.post891372921956587322..comments2024-03-25T00:32:28.343-07:00Comments on मेरा कोना: ये प्यार है,पागलपन या कुछ और...अर्चना राजहंस मधुकरhttp://www.blogger.com/profile/01646326746135672463noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-6064746468717405529.post-6912177427063777752008-04-21T06:51:00.000-07:002008-04-21T06:51:00.000-07:00क्या प्रेम की इतनी घिनौनी पराकाष्ठा हो सकती है.ऐसे...क्या प्रेम की इतनी घिनौनी पराकाष्ठा हो सकती है.ऐसे लोगों के दिमाग की जांच होनी चाहिये,प्रेम तो एक सीढी आगे ही बढाता है, गिराता नहीं.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6064746468717405529.post-78943821585044585272008-04-20T22:43:00.000-07:002008-04-20T22:43:00.000-07:00मैम आपकी छोटी सी कहानी छोटे शहरों की इत्मिनान भरी ...मैम आपकी छोटी सी कहानी छोटे शहरों की इत्मिनान भरी ज़िदगी पढ़कर सचमुच ये एहसास हुआ कि बड़े शहरों के लोग एक ऐसी अंधी दौड़ लगा रहे है जिसका अंतिम पड़ाव और लक्ष्य क्या है शायद इससे वो अनभिज्ञ हैं..नीरो के माध्यम से ये आपने यह साफ किया है कि सुकुन भागने से नहीं बल्कि इत्मिनान से हासिल होता है.. जो दिल और मन की संतुष्टि पर निर्भर है....राकेश कश्यपhttps://www.blogger.com/profile/07501496838993167915noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6064746468717405529.post-52881229922287736252008-04-20T13:13:00.000-07:002008-04-20T13:13:00.000-07:00आपकी बात भी सही है...बड़ॆ शहरों में आकर नज़र थोड़ी खर...आपकी बात भी सही है...बड़ॆ शहरों में आकर नज़र थोड़ी खराब तो हो ही जाती है...अपना शहर तो अपना होता ही है...आपकी अच्छा लिख रही है..इसी तरह कायम रहें..मेरी शुभकामनाएंVIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6064746468717405529.post-85732478862697811212008-04-19T10:49:00.000-07:002008-04-19T10:49:00.000-07:00कमाल की भाषा में तुम अपने विचारों को सामयिक घटनाओं...कमाल की भाषा में तुम अपने विचारों को सामयिक घटनाओं के साथ व्यक्त कर रही हो। समाज में प्रेम का अवमूल्यन इसलिए हो रहा है कि लोग गुस्से का अधिक से अधिक दुरूपयोग कर रहे हैं। तुम अपने िवचारों को व्यक्त कर अपने मजबूत व्यक्तित्व को सामने ला रही है। तुम्हें प्रोत्साहन मिले। लोगों का सम्मान मिले।prasun latanthttps://www.blogger.com/profile/16841508146492766097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6064746468717405529.post-46189712123892798772008-04-19T03:16:00.000-07:002008-04-19T03:16:00.000-07:00आजकल तो ना जान की और ना ही रिश्तों की कोई वैल्यू ...आजकल तो ना जान की और ना ही रिश्तों की कोई वैल्यू रह गई लगती है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.com