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Sunday, November 23, 2008

तुम ही कह दो

तुम ही कह दो अब
बात जो मेरे मन में है
फैसला हर घड़ी सुनाया नहीं जाता
दिलकश हो जो फसाना
बार बार उसे सुनाया नहीं जाता

( बहुत लंबे समय से कुछ नहीं लिख पा रही हूं...लिख रही हूं तो पोस्ट नहीं कर पा रही हूं...थोड़ी व्यस्तता है...हालांकि पोस्ट का इस बात से कोई लेना देना नहीं है फिर भी मैं ब्लॉग पर कुछ भी नहीं डाल रही हूं...लेकिन जल्द  बिला वजह की व्यस्तता खत्म कर इस सिलसिले की शुरुआत करेंगे...मेरे कई मित्र मेरा कोना पर पुरानी पोस्ट देखकर दुखी हो रहे हैं...लेकिन अच्छी बात ये है कि नाराजगी में वो गुस्सा नहीं शिकायत ही दर्ज कराते हैं... )

4 comments:

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

pahle aap pahle aap me train na nikal jaye. narayan narayan

Unknown said...

अरे बहुत-बहुत बधाई आपके नए प्रोजेक्ट के लिए... आपका जो नंबर हमारे पास है... वो तो काम ही नहीं करता... मिठाई कब खिला रहीं हैं आप...

शोभा said...

सुन्दर अभिव्यक्ति।

Aadarsh Rathore said...

शुभकामनाएं अर्चना जी.